Covid -19 isn't harmless like common cold (HINDI )
मिथ :आम सर्दी जुकाम की तरह ही है कोविड -१९
यथार्थ :ठीक इसके विपरीत है जबकि इस दौर के साथ तालमेल बिठाये रखने के लिए सटीक जानकारी सावधानी की तरह एहम है। कुछ लोग भ्रामक प्रचार में जुटे हुए हैं उनसे खबरदारी ज़रूरी है। कहा जा रहा है कोविड -१९ से मात्र ०. ०० ४ फीसद लोगों की ही मौत होती है। इसका अर्थ हुआ पच्चीस हज़ार के पीछे सिर्फ १ पेशेंट को अपनी जान से हाथ धोना पड़ता है।
दशमलव शून्य शून्य चार का अर्थ यह हुआ ,चार के एक हज़ार टुकड़े कर दिए जाएँ उनमें से चार टुकड़े उठा लिए जाएँ।
सोशल मीडिया पर २४ x७ x३६५ दिन मिलने वाले कहते हैं एक मामूली बीमारी को लेकर लोकडाउन थोप दिया गया जबकि फ्लू (आम इन्फ़्लुएन्ज़ा )इससे कहीं घातक महामारी है। ऐसा लगता है ये शोशल मीडिया जीवक अमरीकी हैं जहां फ्लू एक राष्ट्रीय बीमारी का दर्ज़ा बनाये हुए है जहां हर बरस इसके खिलाफ टीका बनता है। क्योंकि टीका एक सीजन ही असरकारी रहता है। फिर नया फ्लू वायरस आ घेरता है।
यहां अमरकी माहिर डॉ अन्थोनी फौसी (फोसाई )की राय भी इस बाबत जानना ज़रूरी है। बकौल फॉसआइ कोविड -१९ फ़्लू के मुकाबले दस गुना ज्यादा मारक है। फ्लू के मुकाबले इससे दस गुना ज्यादा मौतें हो रहीं हैं।
विश्वस्वास्थ्य संगठन का क्या कहना है यह जानना भी तथ्यों को रौशनी में लाना होगा :फ्लू से एक हज़ार मामलों के पीछे एक ही मौत होती है।
यानी यह दर ०. १ फीसद से कम है। जबकि कोरोना वायरस से मौत का आंकड़ा जनसंख्या घड़ी की तरह हर पल बदल रहा है नए संक्रमण के मामले भी। ऐसे में मौत के असली आंकड़े अनुमान से कहीं ज्यादा निकलेंगे।भ्रामक प्रचार से बचें अग्रेसित (फोरवर्ड या शेयर ) तो बिलकुल ही न करें।
It urged social media platforms to initiate awareness campaigns on the platforms for users to not upload or circulate false news concerning coronavirus, which is likely to create panic and disturb social tranquility.
मिथ :आम सर्दी जुकाम की तरह ही है कोविड -१९
यथार्थ :ठीक इसके विपरीत है जबकि इस दौर के साथ तालमेल बिठाये रखने के लिए सटीक जानकारी सावधानी की तरह एहम है। कुछ लोग भ्रामक प्रचार में जुटे हुए हैं उनसे खबरदारी ज़रूरी है। कहा जा रहा है कोविड -१९ से मात्र ०. ०० ४ फीसद लोगों की ही मौत होती है। इसका अर्थ हुआ पच्चीस हज़ार के पीछे सिर्फ १ पेशेंट को अपनी जान से हाथ धोना पड़ता है।
दशमलव शून्य शून्य चार का अर्थ यह हुआ ,चार के एक हज़ार टुकड़े कर दिए जाएँ उनमें से चार टुकड़े उठा लिए जाएँ।
सोशल मीडिया पर २४ x७ x३६५ दिन मिलने वाले कहते हैं एक मामूली बीमारी को लेकर लोकडाउन थोप दिया गया जबकि फ्लू (आम इन्फ़्लुएन्ज़ा )इससे कहीं घातक महामारी है। ऐसा लगता है ये शोशल मीडिया जीवक अमरीकी हैं जहां फ्लू एक राष्ट्रीय बीमारी का दर्ज़ा बनाये हुए है जहां हर बरस इसके खिलाफ टीका बनता है। क्योंकि टीका एक सीजन ही असरकारी रहता है। फिर नया फ्लू वायरस आ घेरता है।
यहां अमरकी माहिर डॉ अन्थोनी फौसी (फोसाई )की राय भी इस बाबत जानना ज़रूरी है। बकौल फॉसआइ कोविड -१९ फ़्लू के मुकाबले दस गुना ज्यादा मारक है। फ्लू के मुकाबले इससे दस गुना ज्यादा मौतें हो रहीं हैं।
विश्वस्वास्थ्य संगठन का क्या कहना है यह जानना भी तथ्यों को रौशनी में लाना होगा :फ्लू से एक हज़ार मामलों के पीछे एक ही मौत होती है।
यानी यह दर ०. १ फीसद से कम है। जबकि कोरोना वायरस से मौत का आंकड़ा जनसंख्या घड़ी की तरह हर पल बदल रहा है नए संक्रमण के मामले भी। ऐसे में मौत के असली आंकड़े अनुमान से कहीं ज्यादा निकलेंगे।भ्रामक प्रचार से बचें अग्रेसित (फोरवर्ड या शेयर ) तो बिलकुल ही न करें।
https://www.thequint.com/my-report/coronavirus-delhi-fake-news-family-faces-stigmatisation
यथार्थ :ठीक इसके विपरीत है जबकि इस दौर के साथ तालमेल बिठाये रखने के लिए सटीक जानकारी सावधानी की तरह एहम है। कुछ लोग भ्रामक प्रचार में जुटे हुए हैं उनसे खबरदारी ज़रूरी है। कहा जा रहा है कोविड -१९ से मात्र ०. ०० ४ फीसद लोगों की ही मौत होती है। इसका अर्थ हुआ पच्चीस हज़ार के पीछे सिर्फ १ पेशेंट को अपनी जान से हाथ धोना पड़ता है।
दशमलव शून्य शून्य चार का अर्थ यह हुआ ,चार के एक हज़ार टुकड़े कर दिए जाएँ उनमें से चार टुकड़े उठा लिए जाएँ।
सोशल मीडिया पर २४ x७ x३६५ दिन मिलने वाले कहते हैं एक मामूली बीमारी को लेकर लोकडाउन थोप दिया गया जबकि फ्लू (आम इन्फ़्लुएन्ज़ा )इससे कहीं घातक महामारी है। ऐसा लगता है ये शोशल मीडिया जीवक अमरीकी हैं जहां फ्लू एक राष्ट्रीय बीमारी का दर्ज़ा बनाये हुए है जहां हर बरस इसके खिलाफ टीका बनता है। क्योंकि टीका एक सीजन ही असरकारी रहता है। फिर नया फ्लू वायरस आ घेरता है।
यहां अमरकी माहिर डॉ अन्थोनी फौसी (फोसाई )की राय भी इस बाबत जानना ज़रूरी है। बकौल फॉसआइ कोविड -१९ फ़्लू के मुकाबले दस गुना ज्यादा मारक है। फ्लू के मुकाबले इससे दस गुना ज्यादा मौतें हो रहीं हैं।
विश्वस्वास्थ्य संगठन का क्या कहना है यह जानना भी तथ्यों को रौशनी में लाना होगा :फ्लू से एक हज़ार मामलों के पीछे एक ही मौत होती है।
यानी यह दर ०. १ फीसद से कम है। जबकि कोरोना वायरस से मौत का आंकड़ा जनसंख्या घड़ी की तरह हर पल बदल रहा है नए संक्रमण के मामले भी। ऐसे में मौत के असली आंकड़े अनुमान से कहीं ज्यादा निकलेंगे।भ्रामक प्रचार से बचें अग्रेसित (फोरवर्ड या शेयर ) तो बिलकुल ही न करें।
मिथ :आम सर्दी जुकाम की तरह ही है कोविड -१९
यथार्थ :ठीक इसके विपरीत है जबकि इस दौर के साथ तालमेल बिठाये रखने के लिए सटीक जानकारी सावधानी की तरह एहम है। कुछ लोग भ्रामक प्रचार में जुटे हुए हैं उनसे खबरदारी ज़रूरी है। कहा जा रहा है कोविड -१९ से मात्र ०. ०० ४ फीसद लोगों की ही मौत होती है। इसका अर्थ हुआ पच्चीस हज़ार के पीछे सिर्फ १ पेशेंट को अपनी जान से हाथ धोना पड़ता है।
दशमलव शून्य शून्य चार का अर्थ यह हुआ ,चार के एक हज़ार टुकड़े कर दिए जाएँ उनमें से चार टुकड़े उठा लिए जाएँ।
सोशल मीडिया पर २४ x७ x३६५ दिन मिलने वाले कहते हैं एक मामूली बीमारी को लेकर लोकडाउन थोप दिया गया जबकि फ्लू (आम इन्फ़्लुएन्ज़ा )इससे कहीं घातक महामारी है। ऐसा लगता है ये शोशल मीडिया जीवक अमरीकी हैं जहां फ्लू एक राष्ट्रीय बीमारी का दर्ज़ा बनाये हुए है जहां हर बरस इसके खिलाफ टीका बनता है। क्योंकि टीका एक सीजन ही असरकारी रहता है। फिर नया फ्लू वायरस आ घेरता है।
यहां अमरकी माहिर डॉ अन्थोनी फौसी (फोसाई )की राय भी इस बाबत जानना ज़रूरी है। बकौल फॉसआइ कोविड -१९ फ़्लू के मुकाबले दस गुना ज्यादा मारक है। फ्लू के मुकाबले इससे दस गुना ज्यादा मौतें हो रहीं हैं।
विश्वस्वास्थ्य संगठन का क्या कहना है यह जानना भी तथ्यों को रौशनी में लाना होगा :फ्लू से एक हज़ार मामलों के पीछे एक ही मौत होती है।
यानी यह दर ०. १ फीसद से कम है। जबकि कोरोना वायरस से मौत का आंकड़ा जनसंख्या घड़ी की तरह हर पल बदल रहा है नए संक्रमण के मामले भी। ऐसे में मौत के असली आंकड़े अनुमान से कहीं ज्यादा निकलेंगे।भ्रामक प्रचार से बचें अग्रेसित (फोरवर्ड या शेयर ) तो बिलकुल ही न करें।
https://www.thequint.com/my-report/coronavirus-delhi-fake-news-family-faces-stigmatisation
सटीक जानकरी आभार
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