Posts

Showing posts from April, 2021

चिंता ताकि कीजिये जो अनहोनी होय , यही मार्ग संसार को नानक थिर नहीं कोय। जो उपजो सो बिनस है ,परो आज के काल, नानक हर गुन गाईले छाड सगल जंजाल।

सार-संक्षिप्त : वैज्ञानिकों के अनुसार जब संक्रमित व्यक्ति बात करता, सांस करता, चिल्लाता, गाना गाता या खांसता व छींकता है तो वह वायरस को दूसरों तक पहुंचा रहा है। विस्तार देश में प्रतिदिन दो लाख से ज्यादा संक्रमित मिलने के साथ ही एक और चिंताजनक खबर है, चिकित्सा जर्नल लेंसेट में प्रकाशित नए अध्ययन ने इस बात के पुख्ता साक्ष्य दिए हैं कि कोरोना हवा से फैल रहा है।  इसमें अमेरिका, यूके और कनाडा के छह विशेषज्ञों ने चेताया कि अगर संक्रमित को आइसोलेट नहीं किया गया तो उसके कारण हवा से लोग संक्रमित हो सकते हैं। अध्ययन में शामिल कोलाराडो विश्वविद्यालय के वैज्ञानिक जोस लुइस जिमनेज ने दावा किया कि हवा सें संक्रमण फैलने के पूरे साक्ष्य मिले हैं। वैज्ञानिकों के अनुसार संक्रमण हवा से फैलने के मायने हैं कि जब संक्रमित व्यक्ति बात करता, सांस करता, चिल्लाता, गाना गाता या खांसता व छींकता है तो वह वायरस को दूसरों तक पहुंचा रहा है। 40 फीसदी संक्रमण गैर-लक्षण वालों ने फैलाया गैर-लक्षण वाले संक्रमितों ने 40 प्रतिशत संक्रमण फैलाया। वे खांसते हैं न छींकते हैं, जिससे पानी की बड़ी  ड्रॉपलेट निकलें और दूसरों को संक्

तीन विष्णु (विष्णु त्रयी )-महा -विष्णु ,नारायणी विष्णु और विष्णु

तीन विष्णु (विष्णु त्रयी )-महा -विष्णु ,नारायणी विष्णु और विष्णु महा -विष्णु को कारणोदकशायी विष्णु ,हमारे हृदय में विराजमान विष्णु रूप (परमात्मा )को गर्भोदकशायी विष्णु तथा क्षीरसागर में अनंत शेष शय्या पर निमग्न विष्णु को क्षीरोदकशायी विष्णु अथवा केवल विष्णु कहा गया है। यहां क्षीरसागर (दूध का समुन्दर )इस संसार का प्रतीक है जो परमात्मा की छाया है। इसे ही माया कहा गया है। माया में प्रतिबिंबित ब्रह्म को अन्यत्र ईश्वर भी कहा गया है। अनंत शेष अपने अनंत मुखों से विष्णु के नाम कहे तो भी उसके तमाम नामों का बखान नहीं हो सकता। अनंत शेष (शेष नाग )संसार में मौजूद असंख्य पदार्थों का प्रतीक है जो कभी नहीं चुकते इनमें फंसा प्राणि जन्म मरण के चक्र में पड़ा रहता है। छाया बनती बिगड़ती रहती है। संसार रुपी क्षीर सागर अनेक बार नष्ट होता है। लेकिन फिर भी यह प्रभु की छाया बोले तो माया उतनी ही प्रबल है जितना परमात्मा स्वयं ,उससे ज्यादा नहीं है तो कम भी नहीं है। विष्णु का निमग्न लेटे रहना दर्शाता है वह इस माया से पदार्थ के आकर्षण से ऊपर हैं। अतिक्रमण करते हैं इस त्रिगुणात्मक सृष्टि का ,क्षीरसागर -रूपा माया क